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“अंतरिक्ष में जीवन की संभावनाओं पर भारत की नजर: जैविक प्रयोगों से मिलेंगे नए संकेत”

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भारत की नई अंतरिक्ष पहल: ISS पर मानव जीवन और जैविक प्रयोगों की तैयारी

भारत, जो पहले ही अंतरिक्ष विज्ञान में उल्लेखनीय सफलताएं हासिल कर चुका है, अब एक और ऐतिहासिक कदम उठाने जा रहा है। इसरो (ISRO) अब अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर जैविक प्रयोगों के माध्यम से अंतरिक्ष में मानव जीवन की संभावनाओं और खाद्य उत्पादन की स्थिरता का अध्ययन करेगा।


वैज्ञानिक प्रयोगों में भारत की ऐतिहासिक भागीदारी

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के अनुसार, यह दुनिया का पहला प्रयोग होगा जो अंतरिक्ष में मानव जीवन की दीर्घकालिक स्थिरता की संभावना को गहराई से परखेगा। यह मिशन इसरो, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) के संयुक्त सहयोग से संचालित किया जाएगा।

ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा

भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इस मिशन में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। वे 8 जून को एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरिक्ष की यात्रा पर रवाना होंगे। अमेरिका, हंगरी और पोलैंड के अंतरिक्ष यात्रियों के साथ यात्रा करते हुए शुभांशु शुक्ला ISS की यात्रा करने वाले पहले भारतीय बन जाएंगे।

पारंपरिक खाद्य और शैवाल पर होंगे प्रयोग

मिशन के दौरान तीन प्रकार के सूक्ष्म शैवाल—स्पाइरुलिना और साइनोकोकस सहित—की वृद्धि और उनके आनुवंशिक व्यवहार का अध्ययन किया जाएगा। इन जैविक तत्वों की पोषण माध्यमों के प्रति प्रतिक्रिया भी परखी जाएगी। इसके अलावा, भारतीय पारंपरिक खाद्य सामग्री जैसे मेथी और मूंग को अंतरिक्ष में अंकुरित करने का परीक्षण भी शामिल है।

माइक्रोग्रैविटी के प्रभावों का मूल्यांकन

इन प्रयोगों से माइक्रोग्रैविटी का प्रभाव मांसपेशियों और सूक्ष्मजीवों पर कैसा पड़ता है, इसका भी विश्लेषण किया जाएगा। यह जानकारी दीर्घकालिक अंतरिक्ष अभियानों की तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकती है।

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