Home International बलूचिस्तान में बढ़ी विद्रोह की लपटें, 39 सैन्य ठिकाने किए गए ध्वस्त

बलूचिस्तान में बढ़ी विद्रोह की लपटें, 39 सैन्य ठिकाने किए गए ध्वस्त

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भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम, लेकिन रावलपिंडी तक गूंजे भारतीय हमले; बलूचिस्तान में भी सेना पर हमले तेज

भारत और पाकिस्तान के बीच जारी सैन्य संघर्ष भले ही अमेरिकी मध्यस्थता के बाद थम गया हो, लेकिन भारत ने इस टकराव में पाकिस्तान को कई मोर्चों पर गंभीर क्षति पहुँचाई है। रविवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बार फिर कहा कि भारतीय मिसाइलों की गूंज रावलपिंडी तक सुनाई दी — जो कि पाकिस्तान की एक प्रमुख सैन्य छावनी है। इससे साफ है कि भारतीय हमले इस बार सीधे पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों को निशाना बना रहे थे।


लेकिन पाकिस्तान के सैन्य ठिकाने केवल भारत के निशाने पर ही नहीं हैं — बलूचिस्तान की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रही बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) ने भी हाल के दिनों में पाकिस्तानी सेना और पुलिस के ठिकानों पर हमले तेज कर दिए हैं।

48 घंटों में 56 से अधिक हमले

8 से 10 मई के बीच बलूचिस्तान में हिंसा की घटनाओं में अचानक उभार देखा गया। इस दौरान क्वेटा, केच, पंजगुर, नुश्की, खुजदार और अन्य जिलों में 56 से अधिक हमलों की घटनाएँ दर्ज की गईं। BLA ने दावा किया है कि उन्होंने पाकिस्तानी सेना और पुलिस के 39 ठिकानों को निशाना बनाया है।

BLA का अभियान जारी

BLA के प्रवक्ता जीयंद बलूत ने एक बयान में कहा कि ये हमले तब तक जारी रहेंगे जब तक उनके रणनीतिक लक्ष्य पूरे नहीं हो जाते। उन्होंने बताया कि हाल के हमलों में पुलिस थानों, सैन्य काफिलों, राजमार्गों और अन्य बुनियादी ढांचों को निशाना बनाया गया है। पंजगुर और होशाब में BLA के सशस्त्र सदस्यों ने पुलिस स्टेशनों पर कब्जा कर लिया और हथियार भी जब्त किए।

पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई

इन हमलों के जवाब में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने एक वरिष्ठ बलूच कार्यकर्ता को गिरफ्तार किया है। हालांकि बलूच संगठन लंबे समय से आरोप लगाते रहे हैं कि पाकिस्तान उनके इलाके के प्राकृतिक संसाधनों का शोषण कर रहा है, जबकि स्थानीय आबादी को कोई लाभ नहीं दिया जा रहा।

बलूचिस्तान की आजादी की मांग

बलूच लोगों की ओर से पाकिस्तान पर लंबे समय से आर्थिक शोषण, भेदभाव और सैन्य अत्याचार के आरोप लगाए जाते रहे हैं। इसी के चलते “आजाद बलूचिस्तान” की माँग लगातार उठती रही है और हालिया हमले इसी संघर्ष का हिस्सा माने जा रहे हैं।

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