भारत ने सीमा पार आतंकवाद और हालिया पहलगाम आतंकी हमले के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसदों और अनुभवी राजनयिकों की एक प्रतिनिधिमंडल टीम 23 मई से 3 जून, 2025 तक 33 देशों का दौरा करेगी।

इस दौरे का मकसद इन देशों के सांसदों, सरकारी अधिकारियों, मीडिया और थिंक टैंकों को पहलगाम हमले और उसके बाद चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी देना है। साथ ही, पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों और सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देने वाली नीतियों को भी उजागर करना है।
कौन-कौन से देश दौरे में शामिल?
इस दौरे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के लगभग सभी प्रमुख देशों को शामिल किया गया है। स्थाई सदस्यों में से अमेरिका, फ्रांस, रूस और ब्रिटेन का दौरा किया जाएगा, जबकि चीन को छोड़ दिया गया है।
10 अस्थाई सदस्य देशों में से पाकिस्तान और सोमालिया को छोड़ बाकी आठ देशों—अल्जीरिया, डेनमार्क, दक्षिण कोरिया, सिएरा लियोन, गुयाना, पनामा, स्लोवेनिया और ग्रीस—का दौरा किया जाएगा।
किसे छोड़ा गया और क्यों?
टीम जानबूझकर उन देशों की यात्रा नहीं करेगी जिन्होंने पाकिस्तान का खुला या परोक्ष समर्थन किया है, जैसे कि तुर्की, चीन और अज़रबैजान। विदेश मंत्रालय का मानना है कि इन देशों के रुख को देखते हुए अब उन्हें भारत की स्थिति समझाने का कोई फायदा नहीं है।
इस्लामिक देशों के साथ संवाद
भारतीय प्रतिनिधिमंडल इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के कई सदस्य देशों जैसे कि कुवैत, बहरीन, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, मलेशिया, यूएई, कतर और मिस्र की भी यात्रा करेगा। भारत इन पारंपरिक साझेदारों को फिर से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खतरों से अवगत कराएगा।
पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि पहलगाम हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने UNSC के स्थायी व अस्थायी सदस्यों से सीधे संवाद कर पाकिस्तान की भूमिका पर गंभीर चिंता जताई थी। भारत अब इस दौरे के जरिए उस कूटनीतिक मुहिम को और आगे बढ़ा रहा है।