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अजंता की कला और नौसेना का संगम: भारतीय नौसेना को मिला अनोखा पारंपरिक जहाज

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भारतीय नौसेना को आज एक ऐतिहासिक और विशिष्ट जहाज मिलने जा रहा है, जो न केवल तकनीकी दृष्टि से अनूठा है, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व भी रखता है। कर्नाटक स्थित कारवार नौसैनिक अड्डे पर आयोजित एक विशेष समारोह में इस पारंपरिक जहाज को भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा और इसका नामकरण भी किया जाएगा।


यह जहाज प्राचीन भारत की समुद्री परंपराओं का जीवंत उदाहरण है। इसे पाँचवीं शताब्दी में प्रयुक्त जहाजों की तर्ज पर तैयार किया गया है, जिसकी प्रेरणा अजंता की गुफाओं में बनी एक कलाकृति से ली गई है। “स्टिच्ड शिप” कहलाने वाला यह जहाज लकड़ी से जोड़-कर पारंपरिक तकनीक से निर्मित किया गया है, जिसमें किसी प्रकार की कील या आधुनिक धातु का प्रयोग नहीं किया गया है।

प्राचीन शिल्प और आधुनिक परीक्षण का मेल

जहाज का निर्माण केरल के पारंपरिक कारीगरों द्वारा किया गया है, जिसकी अगुवाई बाबू शंकरन ने की। हजारों लकड़ी के टुकड़ों को हाथों से जोड़कर इस जहाज को आकार दिया गया। इसकी मजबूती और समुद्र में उपयोगिता को सुनिश्चित करने के लिए IIT मद्रास की मदद से इसका जल परीक्षण भी किया गया।

इस परियोजना के लिए संस्कृति मंत्रालय ने वित्तीय सहायता प्रदान की। जुलाई 2023 में भारतीय नौसेना, संस्कृति मंत्रालय और होदी इनोवेशन, गोवा के बीच समझौता हुआ, और सितंबर 2023 में ‘कील लेइंग समारोह’ के साथ इसका निर्माण कार्य औपचारिक रूप से शुरू हुआ।

गुजरात से ओमान तक होगी ऐतिहासिक यात्रा

नौसेना प्रवक्ता के अनुसार, इस जहाज की पहली समुद्री यात्रा भारत के गुजरात से ओमान तक प्रस्तावित है। यह यात्रा न केवल प्राचीन व्यापार मार्गों को फिर से खोजेगी, बल्कि भारतीय समुद्री इतिहास को भी जीवंत रूप से प्रस्तुत करेगी।

संस्कृति और सामरिक शक्ति का संगम

इस विशेष अवसर पर केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे और इस अद्वितीय जहाज को औपचारिक रूप से भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा। यह परियोजना भारत की सांस्कृतिक विरासत और सामरिक क्षमता का एक अद्भुत संगम है, जो आने वाली पीढ़ियों को गौरव की अनुभूति कराएगा।

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