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तुर्की को मिला ड्रैगन और बियर का साथ, भारत को दिखाना होगा अपनी असली ताकत

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तुर्की ने पाकिस्तान का साथ देकर भारत को किया नज़रअंदाज़, जानिए कारण और भारत की संभावित प्रतिक्रिया

“दोस्त, दोस्त न रहा…” ये फिल्मी लाइनें आज तुर्की की स्थिति पर पूरी तरह फिट बैठती हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच तुर्की ने पाकिस्तान को हथियार सप्लाई कर भारत की दोस्ती को नजरअंदाज किया है। इसके पीछे तुर्की के चीन और रूस के साथ मजबूत रिश्ते हैं। आइए जानते हैं कि तुर्की पाकिस्तान का साथ क्यों दे रहा है और भारत इसे कैसे जवाब दे सकता है।


1. चीन-रूस के सहारे तुर्की का आर्थिक उछाल

तुर्की इस वक्त चीन और रूस के साथ मजबूत व्यापारिक रिश्तों की वजह से आर्थिक रूप से उभर रहा है। रूस से वह अपनी ऊर्जा जरूरतें पूरी करता है और 2023 में करीब 94 हजार करोड़ रुपये का व्यापार किया था। रूस से तुर्की ने पहले भी मिसाइल जैसे भारी हथियार खरीदे हैं। वहीं, चीन की ईवी कार कंपनी BYD ने तुर्की में बड़ी निवेश राशि लगाई है। इस वजह से तुर्की को रूस-चीन से ताकत मिल रही है, जिससे वह भारत की आलोचना करने में हिचकिचाता नहीं।


2. भारत-तुर्की व्यापार में कमी

भारत और तुर्की के बीच व्यापार कम होने के कारण तुर्की ने पाकिस्तान का साथ चुना हो सकता है। 2023-24 में भारत ने तुर्की को करीब 65 हजार करोड़ रुपये का सामान भेजा था, जो 2024-25 में घटकर 44 हजार करोड़ रह गया। भारत के आयात में भी तुर्की की हिस्सेदारी केवल 0.5 प्रतिशत है। इसलिए तुर्की के लिए भारत से दूरी बनाना आर्थिक रूप से ज्यादा बड़ा नुकसान नहीं है।

3. भारत कैसे दे सकता है तुर्की को जवाब?

हालांकि भारत और तुर्की के बीच व्यापार सीमित है, लेकिन भारत तुर्की को कई तरीकों से नुकसान पहुंचा सकता है:

व्यापार पर प्रतिबंध: भारत तुर्की से होने वाले इंपोर्ट-एक्सपोर्ट पर पूरी तरह रोक लगा सकता है। इससे तुर्की को आर्थिक नुकसान होगा, खासकर मशीनरी और ऑटो पार्ट्स के मामले में।

तुर्की का बॉयकॉट: भारत में तुर्की का विरोध बढ़ रहा है। कई बड़े सितारों ने तुर्की के उत्पादों और पर्यटन का बहिष्कार करने की अपील की है। इसके कारण भारत से तुर्की यात्रा में कमी आई है, जो तुर्की की पर्यटन-आधारित अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है।

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दबाव: भारत तुर्की को यूएन और अन्य ग्लोबल मंचों पर मानवाधिकार उल्लंघन जैसे मुद्दों पर घेर सकता है। BRICS, G20 जैसे फोरम में तुर्की की नीतियों पर सवाल उठा सकता है। पाकिस्तान का समर्थन करने के कारण तुर्की को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग किया जा सकता है।

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