इस्कॉन संपत्ति विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने इस्कॉन बैंगलोर के पक्ष में दिया फैसला, अब हरे कृष्ण मंदिर पर उन्हीं का नियंत्रण
आज सुप्रीम कोर्ट ने इस्कॉन बैंगलोर और इस्कॉन मुंबई के बीच दशकों से चले आ रहे हरे कृष्ण मंदिर के स्वामित्व विवाद पर अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट के उस पुराने फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें मंदिर की संपत्ति पर इस्कॉन मुंबई का अधिकार बताया गया था। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह मंदिर पूरी तरह इस्कॉन बैंगलोर के नियंत्रण में रहेगा।

इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस ए.एस. ओका और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने की थी। फैसला 24 जुलाई 2023 को सुरक्षित रखा गया था और आज, लगभग 10 महीने बाद, यह फैसला सुनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार, फैसले को जस्टिस ओका ने लिखा है।
जानिए पूरा मामला संक्षेप में –
1. विवाद की शुरुआत:
यह विवाद बैंगलोर के हरे कृष्ण मंदिर और उससे जुड़े शैक्षणिक संस्थानों की संपत्ति के मालिकाना हक को लेकर था। कर्नाटक हाई कोर्ट ने मंदिर पर इस्कॉन मुंबई का अधिकार बताया था, जिसे इस्कॉन बैंगलोर ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
2. सुप्रीम कोर्ट में अपील:
इस्कॉन बैंगलोर ने 2 जून 2011 को सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। हाई कोर्ट ने 23 मई 2011 को अपना फैसला सुनाया था। यानी यह मामला करीब 14 साल से लंबित था। इस्कॉन बैंगलोर की ओर से वकील के. दास ने केस की पैरवी की।
3. निचली अदालत का फैसला:
पहले, बेंगलुरु की एक निचली अदालत ने इस्कॉन बैंगलोर के पक्ष में फैसला दिया था। लेकिन हाई कोर्ट ने उस फैसले को पलटते हुए इस्कॉन मुंबई को मंदिर का मालिक माना था। यह मामला इसलिए भी खास रहा क्योंकि एक ही आध्यात्मिक संगठन के दो हिस्से आमने-सामने थे।
4. स्वतंत्र पहचान की दलील:
इस्कॉन बैंगलोर ने कोर्ट में कहा कि वे एक स्वतंत्र संस्था हैं, जो कर्नाटक में रजिस्टर्ड है और पिछले कई दशकों से मंदिर का संचालन खुद कर रही है। वहीं, इस्कॉन मुंबई का दावा था कि बैंगलोर शाखा उनके अधीन आती है, इसलिए मंदिर पर उनका अधिकार है।