बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख डॉ. मोहम्मद यूनुस ने सत्ता संभाले अभी एक साल भी पूरा नहीं किया है, लेकिन विदेश मंत्रालय में बढ़ती अंदरूनी विवाद और अव्यवस्था ने उनकी नेतृत्व क्षमता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां उनके कुछ करीबी समर्थक उनकी तेज और निर्णायक शैली को सुधार के प्रयास मानते हैं, वहीं मंत्रालय के अंदर उनके सलाहकारों और सचिवों के साथ बढ़ते मतभेद ने शासन व्यवस्था को कमजोर कर दिया है। मंत्रालय के फैसले अटक रहे हैं, सलाहकार एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं, और विदेश नीति की दिशा अस्पष्ट हो गई है।

सूत्रों के अनुसार, विदेश मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के बीच खींचतान मुख्य रूप से विदेश सचिव मो. जसीम उद्दीन और सलाहकार तौहीद हुसैन के बीच हो रही है। दोनों के बीच समन्वय की कमी के कारण निर्णय प्रक्रिया धीमी पड़ गई है और कई कूटनीतिक कदम अधर में लटके हैं। मंत्रालय के अंदरूनी सूत्र इस स्थिति को डेडलॉक बताते हैं, जिससे नीतिगत फैसलों पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।
डॉ. यूनुस ने स्थिति सुधारने के लिए लुत्फे सिद्दिकी, खालिलुर रहमान और सूफिउर रहमान जैसे अनुभवी अधिकारियों को जिम्मेदारियां दीं। खालिलुर को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और सूफिउर को विदेश राज्य मंत्री का दर्जा मिला, लेकिन इन नियुक्तियों को भी मंत्रालय के अंदर विरोध का सामना करना पड़ा। खासकर तौहीद हुसैन और जसीम उद्दीन ने सूफिउर की नियुक्ति पर आपत्ति जताई, जिससे विवाद और बढ़ गया।
जापान दौरे से पहले, विदेश मंत्रालय की एक महत्वपूर्ण सलाहकार बैठक अचानक टाल दी गई, जिससे कूटनीतिक समुदाय में चिंता पैदा हो गई। मामला बाद में सुलझा, लेकिन इससे मंत्रालय में चल रही असहमति और अंदरूनी कलह का खुलासा हुआ।
इन घटनाओं के बाद सरकार विदेश सचिव मो. जसीम उद्दीन को हटाने की योजना बना रही है। जसीम भी सम्मानजनक विदाई की तलाश में हैं, लेकिन विदेश में राजदूत पद जैसे विकल्पों की कमी के कारण उनकी अगली भूमिका अस्पष्ट है। मंत्रालय में नेतृत्व परिवर्तन की संभावना अब काफी मजबूत हो गई है।