Tuesday, May 13, 2025
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“देश की सुरक्षा की गारंटी बनी ‘आकाश’ मिसाइल, डॉ. रामाराव ने सुनाई इसकी कामयाबी की कहानी”

आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने नाकाम किए पाकिस्तानी हमले, निर्माता डॉ. रामाराव भावुक

पाकिस्तान की ओर से किए गए हवाई हमलों को भारत के स्वदेशी ‘आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्टम’ ने सफलतापूर्वक विफल कर दिया। इस प्रणाली ने सीमापार से आने वाले ड्रोन और मिसाइलों को पलक झपकते ही ध्वस्त कर दिया। जब यह खबर इस मिसाइल सिस्टम के प्रमुख निर्माता और पद्मश्री से सम्मानित डॉ. प्रहलाद रामाराव को मिली, तो वे भावुक हो उठे और उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े।


डॉ. रामाराव, जो आकाश प्रोजेक्ट के पहले प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहे हैं, ने इस उपलब्धि को एक व्यक्तिगत और देश के लिए गर्व का क्षण बताया। उन्होंने कहा, “हमें खुशी है कि हमारी मेहनत रंग लाई और आज यह प्रणाली देश की रक्षा में अहम भूमिका निभा रही है।”

एक चुनौतीपूर्ण सफर

डॉ. रामाराव ने बताया कि 1983 में उन्हें इस परियोजना का नेतृत्व सौंपा गया था। उन्होंने कहा, “यह एक बेहद जटिल और चुनौतीपूर्ण प्रोजेक्ट था। हमने शुरू से ही तय किया था कि इस मिसाइल में चार मुख्य गुण होंगे – गति, चुस्ती, मारक क्षमता और बुद्धिमत्ता। इन मानकों को हासिल करना आसान नहीं था।”

परियोजना के शुरुआती दौर में कई असफलताएं आईं, लेकिन डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का प्रोत्साहन टीम को आगे बढ़ाता रहा। “वे अक्सर कहते थे, ‘चिंता मत करो, तुम कर लोगे।’ हमें विश्वास था कि हम एक दिन जरूर सफल होंगे,” डॉ. रामाराव ने याद किया।

15 साल की मेहनत, पहली बार युद्ध क्षेत्र में प्रयोग

लगभग 15 वर्षों की मेहनत के बाद ‘आकाश’ मिसाइल प्रणाली को तैयार किया गया, और हाल की सैन्य कार्रवाई में पहली बार इसका युद्ध क्षेत्र में सफल उपयोग हुआ है।

तकनीकी विशेषताएं

डॉ. रामाराव के अनुसार, आकाश एक मीडियम रेंज मल्टी-टारगेट एयर डिफेंस सिस्टम है, जो 40 किलोमीटर तक की दूरी पर कई लक्ष्यों को एक साथ निशाना बना सकता है। यह विशेष रूप से बड़े एयरक्राफ्ट और ड्रोन्स के लिए तैयार किया गया है। “हमें विश्वास है कि चाहे लक्ष्य कितने भी हों, हमारा सिस्टम उन्हें नष्ट करने में सक्षम है,” उन्होंने कहा।

देश में बना, देश के लिए बना

उन्होंने बताया कि इस मिसाइल प्रणाली के निर्माण में लगभग 200 भारतीय कंपनियां जुड़ी हुई हैं। हैदराबाद में मिसाइल का निर्माण और बैंगलोर में रडार सिस्टम का विकास हो रहा है। डॉ. रामाराव ने यह भी बताया कि भारत पहले ही दो देशों को यह प्रणाली निर्यात कर चुका है, और कई अन्य देश भी इसमें रुचि दिखा रहे हैं।

‘आकाश’ बना आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक

डॉ. रामाराव ने कहा, “आकाश मिसाइल प्रणाली एक उदाहरण है कि भारत की स्वदेशी रक्षा तकनीक किसी भी देश से कम नहीं है। अब हमें किसी भी कंपोनेंट के लिए विदेश जाने की जरूरत नहीं है। हम न केवल आत्मनिर्भर बन रहे हैं, बल्कि देश में रोजगार के अवसर भी पैदा कर रहे हैं।”

भारत-पाकिस्तान संघर्ष में ‘आकाश’ की सफलता इस बात का प्रमाण है कि भारतीय प्रतिभा किसी भी चुनौती का समाधान खोज सकती है — आवश्यकता है तो सिर्फ सही दिशा और नेतृत्व की।

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