Sunday, May 18, 2025
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बी सत्यनारायण का सीएम पर तीखा हमला, कहा- ‘रिटायर्ड अफसरों के खिलाफ झूठे केस से प्रशासन कमजोर हुआ’

आंध्र प्रदेश में दो पूर्व आईएएस अधिकारियों की गिरफ्तारी से राजनीतिक माहौल गरमाया

आंध्र प्रदेश में दो पूर्व आईएएस अधिकारियों धनंजय रेड्डी और कृष्ण मोहन रेड्डी की गिरफ्तारी ने राज्य की राजनीति में हड़कंप मचा दिया है। विपक्षी पार्टी वाईएसआर कांग्रेस (वाईएसआरसीपी) ने मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पर राजनीतिक बदले की राजनीति करने का आरोप लगाया है।


यह गिरफ्तारी राज्य में सामने आए शराब घोटाले के सिलसिले में शुक्रवार शाम हुई। दोनों अधिकारी पूर्व में वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं और अब वे रिटायर हैं।

प्रशासनिक ढांचे को नुकसान पहुंचाने का आरोप

विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने शराब घोटाले की जांच के दौरान दोनों से कड़ी पूछताछ की और बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया। कृष्ण मोहन रेड्डी पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के ओएसडी रह चुके हैं। वाईएसआरसीपी नेता बी सत्यनारायण ने इस गिरफ्तारी को राजनीतिक दबाव करार देते हुए मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू पर प्रशासनिक तंत्र को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि रिटायर अधिकारियों के खिलाफ झूठे मामलों की दर्जी की जा रही है।

शराब घोटाले की मुख्य जानकारी

आंध्र प्रदेश में लगभग 3200 करोड़ रुपये के इस घोटाले में वाईएसआरसीपी के कई शीर्ष नेताओं का नाम सामने आया है। आरोप है कि इस रैकेट के तहत हर महीने 50-60 करोड़ रुपये की रिश्वत ली जाती थी, जो पार्टी फंड में जमा होती थी। इस मामले में के राजशेखर रेड्डी उर्फ राज कासिरेड्डी को मुख्य आरोपी बनाया गया है, जो पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के करीबी सहयोगी हैं।

घोटाला कैसे हुआ?

रिमांड नोट के मुताबिक, वाईएसआरसीपी के नेता शराब कंपनियों से हर महीने भारी रिश्वत लेते थे। जिन शराब ब्रांडों ने रिश्वत दी, उन्हें सरकारी दुकानों में प्राथमिकता दी जाती थी। यह रैकेट 2019 में शुरू हुआ था और रिश्वत की रकम हैदराबाद, मुंबई और दिल्ली के हवाला ऑपरेटरों के जरिए बाहर भेजी जाती थी। आरोप है कि सरकारी खुदरा दुकानों में शराब के ऑर्डर में हेराफेरी की गई, जिससे राष्ट्रीय ब्रांडों को नज़रअंदाज़ किया गया और निर्धारित सीमा से अधिक नए ब्रांडों को जगह दी गई। रिश्वत की दर के तहत कम कीमत वाले ब्रांड के लिए 150 रुपये, मध्यम श्रेणी के लिए 200 रुपये और उच्च श्रेणी के लिए 600 रुपये प्रति केस की मांग की गई।

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