रायगढ़, जुलाई 2025 – छत्तीसगढ़ के रायगढ़ ज़िले में महाराष्ट्र राज्य बिजली उत्पादन कंपनी लिमिटेड (महाजेनको) द्वारा विकसित की जा रही गारे पेलमा सेक्टर-दो कोल माइंस परियोजना को सभी जरूरी सरकारी मंज़ूरियाँ मिल चुकी हैं। अब यह परियोजना कोयला उत्पादन के लिए पूरी तरह तैयार है।

इस खदान से भारत की ऊर्जा ज़रूरतें पूरी होने के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में रोज़गार और आधारभूत विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। परियोजना में करीब 655.15 मिलियन टन कोयले का भंडार है और इसकी अधिकतम वार्षिक उत्पादन क्षमता 23.6 मिलियन मीट्रिक टन निर्धारित की गई है।
परियोजना पर कुल ₹7463 करोड़ का निवेश किया जा रहा है और इसके संचालन से छत्तीसगढ़ को लगभग ₹29,000 करोड़ का राजस्व प्राप्त होगा। यह आय रॉयल्टी, जिला खनिज निधि (DMF), जीएसटी और अन्य शुल्कों के रूप में आएगी।
रोज़गार के अवसरों की बात करें तो:
लगभग 3400 प्रत्यक्ष नौकरियां इस परियोजना से मिलेंगी।
खनन, परिवहन, निर्माण, खानपान, सुरक्षा, सप्लाई चेन और अन्य सेवाओं में हज़ारों अप्रत्यक्ष रोजगार भी सृजित होंगे।
परियोजना को मंज़ूरी तक पहुंचाने की प्रमुख झलकियां:
2015 में केंद्र सरकार के कोयला मंत्रालय ने महाजेनको को कोल ब्लॉक आवंटित किया।
2016 में खनन योजना को स्वीकृति मिली।
12 अप्रैल 2016 को पर्यावरणीय मंजूरी (EC) के लिए आवेदन किया गया और 2019 में जनसुनवाई हुई।
13 अगस्त 2024 को EC स्वीकृति मिली।
वन विभाग से स्टेज-I (2 जून 2022), स्टेज-II (27 जनवरी 2023) और अंतिम स्वीकृति 27 अगस्त 2024 को राज्य सरकार द्वारा प्रदान की गई।
सामाजिक विकास की दिशा में प्रयास:
महाजेनको ने पहले ही परियोजना क्षेत्र में कई विकास कार्य शुरू कर दिए हैं। भविष्य में भी कंपनी शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, आधारभूत ढांचे, प्रशिक्षण, आजीविका सहायता और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।

14 गांवों को प्रभावित करने वाली यह परियोजना एक समावेशी पुनर्वास और पुनर्स्थापन योजना के साथ लागू की जा रही है, जिसमें 3296 परिवारों को निर्धारित नीति के अनुरूप पुनर्वासित किया जाएगा। इन परिवारों ने अपने सामाजिक और आर्थिक उत्थान की दिशा में एक सकारात्मक कदम उठाते हुए इस प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भागीदारी की है, जिससे उन्हें बेहतर जीवनशैली, रोजगार के अवसर और बुनियादी सुविधाओं तक बेहतर पहुंच प्राप्त होगी।
पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता को ध्यान में रखते हुए, महाजेनको ने खनन परियोजना की पूरी अवधि के दौरान एक व्यापक पर्यावरण प्रबंधन योजना (EMP) के अंतर्गत हरित पट्टी विकास, वृक्षारोपण, जल संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण और खनन के बाद भूमि सुधार जैसे कार्यों के लिए महत्वपूर्ण निवेश का प्रस्ताव रखा है।
रायगढ़ जिला छत्तीसगढ़ की ऊर्जा राजधानी के रूप में जाना जाता है, जहाँ साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के तहत 4 सक्रिय कोल माइंस और 1 खदान विकास ऑपरेटर आधारित ओपनकास्ट परियोजना संचालित हैं। यह क्षेत्र कोयला उत्पादन में अग्रणी है और भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता में अहम योगदान देता है।
गारे पेलमा सेक्टर-दो कोल माइंस परियोजना, ऊर्जा क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ स्थानीय समुदायों के जीवन स्तर में सुधार और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए एक संतुलित मॉडल के रूप में कार्य करेगी।
महाजेनको यह महाराष्ट्र राज्य की प्रमुख बिजली उत्पादन कंपनी है, जो महाराष्ट्र राज्य बिजली मंडल सूत्रधारी कंपनी की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है।
महाजेनको की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 13,880.55 मेगावाट है, जिसमें से लगभग 73.5% (10,200 मेगावाट) उत्पादन थर्मल(कोयला )स्रोतों से होता है। यह भारत की सबसे बड़ी राज्य सरकार द्वारा नियंत्रित बिजली उत्पादन कंपनी है। महाजेनको द्वारा उत्पादित बिजली महाराष्ट्र के 2 करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं को आपूर्ति की जाती है।