Saturday, June 14, 2025
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“जबलपुर की गलियों से एमपीएल स्टेडियम तक: प्रथम और सफ़िन की संघर्षगाथा”

मध्य प्रदेश, जून 2025: विपरीत परिस्थितियों से जूझते हुए जबलपुर के दो युवा तेज़ गेंदबाज़, सफ़िन अली और प्रथम उइके, ने अपनी मेहनत और जुनून के बल पर अपने सपनों को हकीकत में बदल दिया है। ये दोनों अब जबलपुर रॉयल लायंस टीम का हिस्सा बन गए हैं और 12 जून से शुरू होने वाली टी20 सिंधिया कप 2025 में अपना जलवा दिखाने को तैयार हैं। जबलपुर टीम 13 जून को अपना पहला मुकाबला खेलेगी, जिसमें ये उभरते सितारे भी मैदान में नजर आएंगे।

सफ़िन अली: सपनों के लिए संघर्ष की मिसाल

अलीगंज, सराफा की संकरी गलियों से निकलकर 20 वर्षीय सफ़िन अली ने जीवन की हर कठिनाई को मात दी है। उनके पिता अश्फाक अली एक छोटा गैराज चलाते हैं और संयुक्त परिवार की आर्थिक तंगी के बीच सफ़िन का क्रिकेट प्रेम कभी नहीं डगमगाया। 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी, लेकिन क्रिकेट के प्रति समर्पण बना रहा। बिना जूते, बिना कोचिंग—सिर्फ जुनून के दम पर वे रोज़ाना 3 किलोमीटर साइकिल चलाकर अभ्यास के लिए पहुंचते थे।

सफ़िन बताते हैं, “इतनी मेहनत के बाद जब टीम में नाम आया, तो लगा जैसे सब कुछ पा लिया।”

उनकी आंखें उस पल भर आईं जब उन्होंने अपने पिता से कहा, “स्पाइक्स नहीं थे, लेकिन सपने थे।” पिता अश्फाक, जो उस समय ग्रीस लगे हाथों से काम कर रहे थे, बेटे को गले लगाकर रो पड़े—वो गर्व का ऐसा क्षण था, जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल था।

प्रथम उइके: गांव से उठकर शहर की टीम तक का सफर

19 वर्षीय प्रथम उइके, जबलपुर के पास के छोटे से गांव शाहपुरा से आते हैं। उनके पिता रामगोपाल उइके ट्रैक्टर एजेंसी में काम करते हैं। प्रथम ने टेनिस बॉल से शुरुआत की, लेकिन उनका टैलेंट जल्द ही कोचों की नज़र में आया। हर सुबह 30 किलोमीटर दूर जेपी एकेडमी, रानीताल तक का सफर तय करना, और फिर पूरी ताक़त से नेट पर गेंदबाज़ी करना—ये उनकी दिनचर्या बन गई।

प्रथम कहते हैं, “वापसी का रास्ता पैरों से नहीं, दिल से भारी होता था, क्योंकि मन में यह सवाल रहता था कि क्या मेरी मेहनत किसी मंज़िल तक पहुंचेगी?”

टैलेंट हंट में उनका प्रदर्शन ऐसा था कि जैसे उनकी गेंद नहीं, उम्मीदें दौड़ रही हों। जब चयन की घोषणा हुई, तो उनके पूरे परिवार की आंखें खुशी से नम हो गईं।

जमीनी प्रतिभाओं को मंच: जबलपुर रॉयल लायंस की पहल

जबलपुर रॉयल लायंस के प्रतिनिधि लव मलिक ने कहा,
“यह टैलेंट हंट सिर्फ क्रिकेट नहीं था, यह उन युवाओं को मंच देने की कोशिश थी, जिनके पास संसाधन नहीं थे, लेकिन हुनर और हौसला अपार था। सफ़िन और प्रथम जैसे खिलाड़ी हमारे लिए सिर्फ क्रिकेटर नहीं, प्रेरणा हैं। ये वो सितारे हैं जिन्होंने अंधेरे में भी खुद को चमकने लायक बनाया।”

जैसे ही जबलपुर सिंधिया कप के लिए तैयार हो रहा है, सबकी निगाहें प्रोफेशनल खिलाड़ियों पर होंगी। लेकिन सबसे जोरदार तालियां इन दो लड़कों, सफ़िन अली और प्रथम उइके के लिए गूंजेंगी, जिन्होंने सिर्फ टीम में जगह नहीं बनाई है, बल्कि पूरे शहर का दिल जीत लिया। क्योंकि क्रिकेट सिर्फ हुनर से नहीं खेला जाता, वो रूह से खेला जाता है।

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