Thursday, May 22, 2025
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वक्फ एक्ट संशोधन को चुनौती: सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा अहम फैसला

सुप्रीम कोर्ट आज वक्फ संशोधन कानून 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अहम सुनवाई करेगा। शीर्ष अदालत इस दौरान कुछ प्रमुख मुद्दों पर अंतरिम आदेश पारित कर सकती है। प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई और जस्टिस ए. जी. मसीह की पीठ ने पिछली सुनवाई में 20 मई तक मामला टालते हुए तीन बिंदुओं पर दलीलें मांगी थीं।


तीन प्रमुख मुद्दे

1. वक्फ बाय यूजर और वक्फ बाय डीड: इन दोनों आधारों पर घोषित वक्फ संपत्तियों को ‘गैर-अधिसूचित’ करने का प्रस्ताव।


2. वक्फ बोर्डों की संरचना: याचिकाकर्ताओं का कहना है कि पदेन सदस्यों को छोड़कर केवल मुसलमानों को ही बोर्ड का संचालन करना चाहिए।


3. कलेक्टर की जांच प्रक्रिया: यदि कलेक्टर जांच में पाता है कि संपत्ति सरकारी है, तो उसे वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा — इस प्रावधान को भी चुनौती दी गई है।



वक्फ बाय यूजर का मतलब क्या है?
यह वह संपत्ति होती है जिसका लंबे समय से वक्फ के रूप में उपयोग हो रहा हो, भले ही उसके नाम कोई दस्तावेज या वक्फ डीड मौजूद न हो। ऐसे मामलों में उसे वक्फ संपत्ति माना जाता है।

दोनों पक्षों को लिखित तर्क देने के निर्देश
पिछली सुनवाई में अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से 19 मई तक अपने लिखित पक्ष सौंपने को कहा था। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मूल वक्फ अधिनियम 1995 पर फिलहाल किसी प्रकार की रोक नहीं लगाई जाएगी।

केंद्र सरकार का रुख
सरकार ने आश्वासन दिया है कि फिलहाल अधिसूचित वक्फ संपत्तियों को, जिनमें वक्फ बाय यूजर भी शामिल है, गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा और वक्फ बोर्ड या केंद्रीय परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति नहीं होगी।

केरल सरकार की याचिका
केरल सरकार ने भी वक्फ संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं में हस्तक्षेप की मांग की है। राज्य का कहना है कि यह संशोधन न केवल मूल कानून की भावना से भटक गया है, बल्कि राज्य की मुस्लिम आबादी के मौलिक अधिकारों को भी प्रभावित करता है। राज्य सरकार का मानना है कि इस कानून के कई प्रावधान भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक हैं।

केंद्र का जवाब
25 अप्रैल को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने संसद द्वारा पारित इस कानून का बचाव करते हुए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया था और कानून पर किसी भी तरह की पूर्ण रोक लगाने का विरोध किया था।

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