चंद्रयान की सफलता की तरह अब ब्रह्मोस और आकाश मिसाइलों की शौर्यगाथा भी स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनने जा रही है। शिक्षा मंत्रालय इन मिसाइलों की कहानी को देश की सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं में स्कूली बच्चों तक पहुँचाने की तैयारी कर रहा है। यह पहल पाठ्यक्रम के अतिरिक्त गतिविधियों और भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार के अंतर्गत की जा रही है, ताकि विद्यार्थी इन कहानियों को रोचक ढंग से समझ सकें।

शिक्षा मंत्री ने सोमवार को एक कार्यक्रम में इसकी ओर इशारा करते हुए कहा कि ब्रह्मोस और आकाश मिसाइलें न केवल हमारी रक्षा शक्ति का प्रतीक हैं, बल्कि हमारी शिक्षा व्यवस्था की मजबूती का भी प्रमाण हैं। उन्होंने यह भी बताया कि रिसर्च और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री रिसर्च फंड में आवश्यक सुधार किए जा रहे हैं।
नई पीढ़ी में देशभक्ति और नवाचार की भावना
इस पहल का उद्देश्य स्कूली छात्रों के मन में देश की रक्षा प्रणाली और स्वदेशी तकनीक के प्रति रुचि और गर्व की भावना पैदा करना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार, बाल्यावस्था से ही बच्चों में नवाचार और अनुसंधान की नींव रखी जानी चाहिए, जिससे वे भविष्य में देश के विकास में अहम भूमिका निभा सकें।
मंत्रालय के अनुसार, जिस तरह चंद्रयान की कहानी को बच्चों के बीच लोकप्रिय बनाया गया था, उसी तरह अब ब्रह्मोस और आकाश मिसाइलों की कहानी भी प्रेरणादायक ढंग से बच्चों तक पहुँचाई जाएगी।
मिसाइलों की वीरता और तकनीकी क्षमता
इन मिसाइलों ने न केवल पाकिस्तान की मिसाइलों को हवा में ही नष्ट किया, बल्कि उसके सुरक्षा तंत्र को भेदते हुए आतंकी ठिकानों और हवाई अड्डों पर भी सफलतापूर्वक हमला किया। इनके सटीक और घातक हमलों के चलते पाकिस्तान को शीघ्र ही संघर्षविराम की गुहार लगानी पड़ी थी।
ब्रह्मोस और आकाश की तकनीकी विशेषताएँ:
ब्रह्मोस मिसाइल:
गति: 9878 किमी/घंटा
रेंज: 400 किमी
वजन: 1290 किलोग्राम
लंबाई: 8.4 मीटर
भार वहन क्षमता: 3000 किलोग्राम
आकाश मिसाइल:
गति: 3087 किमी/घंटा
रेंज: 80 किमी
वजन: 720 किलोग्राम
लंबाई: 5.78 मीटर
भार वहन क्षमता: 60 किलोग्राम