Monday, May 12, 2025
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भारत पहलगाम हमले के सबूत करेगा पेश, पाकिस्तान की साजिश होगी बेनकाब

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की भूमिका पर भारत की सख्त निगाह, 1267 समिति में पेश करेगा पहलगाम हमले के सबूत

हालांकि पाकिस्तान वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है, लेकिन आतंकवाद के मसले पर उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जवाबदेह ठहराने की कोशिशें जारी हैं। इसी क्रम में, आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक प्रयासों को सशक्त बनाने और प्रतिबंध लगाने के लिए गठित संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध समिति की आगामी बैठक में भारत अपनी स्थिति स्पष्ट रूप से रखेगा।


इस बैठक में भारत पहलगाम आतंकी हमले से संबंधित ठोस सबूत पेश करेगा। इसके लिए एक विशेष प्रतिनिधिमंडल अगले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र रवाना होगा। यह समिति पहले भी पाकिस्तान में सक्रिय आतंकियों और आतंकी संगठनों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने की अनुशंसा कर चुकी है।

पाकिस्तान की भूमिका को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उजागर करता रहेगा भारत

सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान की सरकार द्वारा आतंकवाद को एक प्रकार की राष्ट्रीय नीति के रूप में अपनाने की रणनीति को उजागर करने का प्रयास भारत लगातार करता रहेगा। पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान की चुप्पी और आतंकियों को दी गई शह, वैश्विक समुदाय के सामने एक बड़ा प्रश्नचिन्ह है।

भारत की कार्रवाई में मारे गए आतंकवादियों को पाकिस्तान में राजकीय सम्मान से दफनाया गया, जिसमें वहां की सेना के शीर्ष अधिकारी भी शामिल हुए। यह घटना पाकिस्तान की सेना और आतंकवादियों के बीच रिश्तों की गहराई को दर्शाती है।

द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को लेकर भी उठाएगा सवाल

भारत, पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार द्वारा संसद में “द रेसिस्टेंस फ्रंट” (टीआरएफ) का उल्लेख किए जाने को भी समिति के समक्ष रखेगा। यह वही संगठन है जिसने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली है और जिसे लश्कर-ए-तैयबा का नया नाम माना जाता है। भारत का आरोप है कि पाकिस्तान ने अपने सहयोगी चीन की मदद से टीआरएफ का नाम संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधित आतंकवादी सूची से हटवाने में सफलता पाई है।

पहले भी दिए जा चुके हैं सबूत

भारत ने पहले भी विभिन्न अवसरों पर संयुक्त राष्ट्र को टीआरएफ की गतिविधियों और उसके पाकिस्तान से संबंधों के बारे में प्रमाण सौंपे हैं। अब पहलगाम हमले के बाद भारत के पास एक और अवसर है कि वह पाकिस्तान के आतंकवाद को समर्थन देने वाले चेहरे को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने बेनकाब कर सके।

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