Friday, December 13, 2024
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डर और असुरक्षा की तरफ ढकेलती चिन्ता…

लुसिंडा बस्सेत्त द्वारा लिखी गयी किताब “फ्रॉम पैनिक-टू-पॉवर” की समीक्षा (Book review)

‘चिन्ता’ यानी (Anxiety) ज़िन्दगी का एक आमसा पहलु होता जा रहा है ! हर कोई किसी न किसी चिंता में लीन नज़र आता है ! चाहे वह नई उम्र के लोग हों या फिर बढ़े-बूढ़े, अब तो यह बच्चों में भी आम बात सी हो गई है ! इसी के पहलुओं को समझने के लिए, कुछ ही दिन पहले मैने एक किताब पढी, लुसिंडा बस्सेत्त (Lucinda Bassett) द्वारा लिखी गयी “फ्रॉम पैनिक-टू-पॉवर” (From Panic to power) ! इस किताब से मुझे मेरे कई सवालों के जवाब मिल गए, जैसे- क्यूँ लोग इस बात से अनजान रहते हैं कि वह चिंता (anxiety) से जूझ रहे हैं? चिंता के लक्षण क्या है? यह किन वजहों से होता है? और पैनिक अटैक्स (panic attacks) आने पर क्या करना चाहिए? तो चलिए इस किताब की कुछ ज़रुरी बातें आपसे साझा (share) करती हूँ !

क्या होता है anxiety disorder (चिंता) ?

Anxiety यानि हद से ज्यादा चिंता या घबराहट होना, वैसे यह परेशानी ज़िन्दगी में कभी न कभी सभी को होती है, पर दिक्कत तब आती है जब यही चिंता हद से ज़्यादा बढ़कर आपकी ज़िन्दगी को कन्ट्रोल करने लगती है! anxiety disorder इन्सान को टेंशन, ज़्यादा सोचना, ज़्यादा रियेक्ट करना जैसी दिमागी परेशनियों से जोड़ देता है! जिसके चलते इन्सान प्रेशर में आ जाता है, और इसका सीधा असर इन्सान की सेहत पर पड़ता है! उसके सोचने का और ज़िन्दगी जीने का नज़रिया तक बदल जाता है ! पर ख़ुशी की बात यह है कि आप इसे ठीक कर सकते हैं, बशर्ते आपको यह समझ आना चाहिए कि आपको anxiety disorder है!

चलिए कुछ कहानियों से समझते हैं इस एंग्जायटी डिसऑर्डर (anxiety disorder) को:

रिमी एक यंग लड़की है जो एक खुशहाल ज़िन्दगी जी रही है, रिमी को अपनी जॉब पसंद है और ऑफिस में भी सबकी चहेती है, इत्ना ही नहीं प्यार के मामले में भी किस्मत अच्छी है क्युँकि वह जिस लड़के को हाई स्कूल से पसंद करती थी, अब उसी से उसकी शादी होने जा रही है ! यानी कुलमिलाकर उसकी ज़िन्दगी तब तक अच्छी जा रही थी जब तक उसकी कंपनी एक छोटे स्केल पर काम कर रही थी, पर जैसे ही उसकी कंपनी का लेवल बढ़ता गया, रिमी के ऊपर काम का प्रेशर भी बढ़ता गया ! जिसकी वजहा से उसे अपनी पर्सनल ज़िन्दगी और काम के बीच में ताल-मेल बिठाना मुश्किल हो गया ! घर में झगड़े शुरू हो गए ! उसने लोगों से बात करना बंद कर दी, वह डरा हुआ फील करने लगी, रिमी को लगा उसे डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए, डॉक्टर ने भी उसे फिजिकली फिट बताया, रिमी समझ नहीं पा रही थी कि उसके साथ यह क्या हो रहा है !

इसी तरहा, एमिली दो बच्चों की माँ हैं, जो काफी अच्छी माँ हैं लेकिन उसके मन में अचानक से डर बैठ गया की कहीं वह अपने बच्चों को कोई नुक्सान ना पहुँचा दें, उसे लग रह था की एक माँ होने के नाते वह ऐसा सोच भी कैसे सकती है ! उसका मन ख़ुद के ही ज़मीर पर सवाल उठा रहा था, उसे रात भर नींद नहीं आती थी ! एमिली अपनी ही नज़रों में दुनिया की सबसे बुरी माँ बन चुकी थी ! वह अपने आप को हर बात के लिए ज़िम्मेदार समझने लगी !

इन दोनों कहानियों में आपने उन लोगों के बारे में जाना जो anxiety के शिकार हैं ! इन औरतों में लक्षण एक ही तरह के हैं, उन्हें पैनिक अटैक आते हैं, उन्हें बहुत घबराहट रहती है, ख़ुद से जुड़े फैसले नहीं ले पाती हैं, और वह हमेशा रेस्टलेस महसूस करती हैं ! इसके अलावा इन लोगों को कुछ बॉडी से जुड़ी बीमारियाँ भी हो जाती हैं, जैसे चेस्ट पैन होना, चक्कर आना, हमेशा नेगेटिव विचार आना, किसी भी चीज़ का डर बना रहना, हाँथ पैरों का सुन पड़ जाना, और पूरी बॉडी मैं दर्द रहना !

पर लुसिंडा बस्सेत्त (Lucinda Bassett) ने इस किताब में anxiety disorder से बाहर आने के रास्ते भी बताए हैं ! चलिए उन्हीं में से कुछ देखते हैं :

कुछ हीलिंग टिप्स :

सबसे पहले तो यह एक्सेप्ट करो कि आप anxiety मे हो, अगर आप अपनी फीलिंग्स को समझने से इनकार करोगे तो यह आपको और डरायेग ! इसे एक्सेप्ट करने के साथ ही आपका हीलिंग प्रोसेस शुरू होता है ! दूसरा अपने डर या टेंशन की वजहा को समझो, अगर यह डर फिजिकल है तो डरना ठीक है पर अगर यह डर सिर्फ मान्सिक लेवल पर है तो समझ लो कि यह सिर्फ आपको डरा रहा है इसका कोई वजूद नहीं है ! तीसरा, अगर आपको बैचैनी या घबराहट फील हो रही है तो इसे होने दो, धीरे-धीरे आप ख़ुद नार्मल होने लग जायेंगे ! चौथा, अपने आप से प्यार और हमदर्दी से बात करो ! पाँचवा, ख़ुद को किसी न किसी तरहा से बिजी रखने की कोशिश करो, कोई ऐसी एक्टिविटी करो कि वह आपके दिमाग और बॉडी को बिजी रखे, कुछ नया सीखने की कोशिश करो ! और आखरी, ख़ुद को एक दम रिलैक्स छोड़ दो, अपना मूड एक दम लाइट रखो !

रिकवरी रातों रात नहीं हो सकती, इसका पहला स्टेप है अपनी फीलिंग्स कि ज़िम्मेदारी लेना, इसके लिए दुसरे को ज़िम्मेदार न ठहराना ! अगर आप सही में anxiety को दूर करना चाहते हैं तो इसका सामना करें, साथ ही ऐसे लोगों के साथ रहिये जो आपका हौसला बढाते हों न कि कम करते हों ! अब यह आपके ऊपर है कि आप अपनी ज़िन्दगी को किस तरफ लेकर जाते हैं ! आप अपनी चिंता से तब तक बाहर नहीं निकल पायेंगें जब तक की आप अपनी सिचुएशन को कन्ट्रोल करने की पॉवर अपने हाँथ में नहीं लेंगे ! और अपनी फीलिंगस की ज़िम्मेदारी नहीं लेंगे ! सिर्फ एक ही इन्सान आपको ठीक होने से दूर कर रहा है, वह हैं आप ख़ुद !

मेरी नज़र से :

इस किताब को पड़ने के बाद मुझे यह तो समझ आया ही कि, anxiety disorder क्या होता है और इससे कैसे बाहर आया जा सकता है, पर साथ ही साथ एक खुशहाल ज़िन्दगी जीने के कुछ तरीके भी समझ आए ! जिनमें से सबसे ज्यादा इम्पोर्टेन्ट, कि रियलिटी में जीना सीखो, सपनें देखो और उनको पूरा करने की पूरी कोशिश भी करो, पर अपनी रियलिटी को भी समझ के चलो ! अपने डर का सामना करो, पहले एक्सेप्ट करो फिर क़दम उठाओ ! और उम्मीदें कम रखो और काम ज़्यादा करो !

इस आर्टिकल में मैंने आपके साथ इस किताब की कुछ ज़रुरी बातें share करने की कोशिश की है ताकि, यह आपके काम आ सकें और आप भी अपनी फीलिंग्स को समझ सकें और उनपर काम कर सकें ! जिससे की आपकी ज़िन्दगी भी खुशहाल बन सके !

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