ट्विन टावर तो गिर गए, अब आगे क्या:80 हजार टन में से 50 हजार टन मलबा बेसमेंट में भरा जाएगा, बाकी 90 दिन में साफ होगा



नोएडा में बने 29 और 32 मंजिला ट्विन टावर गिर चुके। हवा में घुली धूल भी छंट गई। पर काम पूरा नहीं हुआ। अभी बचा है 80 हजार टन मलबा और मशीनों में दर्ज ट्विन टावर गिरने की कहानी। मलबा हटाने का काम 90 दिन तक चलेगा। इसमें से ब्लैक बॉक्स जैसी करीब 20 मशीनें निकाली जाएंगी।
इन मशीनों से बिल्डिंग के एक्सप्लोजन से जुड़ा डेटा मिलेगा। हमने डिमोलिशन का काम करने वाली कंपनी एडिफाइस के प्रोजेक्ट हेड उत्कर्ष मेहता और प्रोजेक्ट मैनेजर मयूर मेहता से बात की। वे ट्विन टावर को गिराने की प्रोसेस में पहले दिन से आखिर में ग्रीन बटन दबाकर ब्लास्ट करने तक शामिल रहे। उन्होंने इस पूरी प्रोसेस को समझाया और बताया कि आगे क्या होगा।
मलबे से कुछ मशीनें मिलीं, 2-3 हफ्ते में डेटा मिलेगा
ट्विन टावर गिराने से पहले इसकी मॉनिटरिंग के लिए 20 मशीनें फिट की गई थीं। एडिफाइस कंपनी के उत्कर्ष मेहता ने बताया कि हमें मलबे से कुछ मशीनें मिल गई हैं। इनसे डेटा निकाला जा रहा है। इसमें 2-3 हफ्ते लग सकते हैं।
जमीन के अंदर लगाई गईं मशीनें मिलना बाकी हैं। हमने डस्ट मॉनिटर, नॉइस मॉनिटर और वेलोसिटी मीटर जैसी मशीनें लगाई हैं। इन्हें खोजकर डेटा जमा किया जाएगा। फिर डेटा से रिपोर्ट बनेगी। इस प्रोसेस में थोड़ा टाइम लगेगा।
ब्लैक बॉक्स से पता चलेगा टावर कितनी देर में गिरे
ब्लैक बॉक्स से मिलने वाला डेटा बहुत अहम है। इसमें भी वेलोसिटी और एक्सलेरेशन मापने की मशीनें लगी होती हैं। डेटा से पता चलेगा कि बिल्डिंग ठीक कितने सेकेंड में नीचे आई। यहां 10 ब्लैक बॉक्स लगाए गए थे। इनमें एक मिल गया है। बाकी अभी मलबे में दबे हैं।
80 हजार टन मलबा, कंक्रीट और लोहा रीसाइकल होगा
प्रोजेक्ट मैनेजर मयूर मेहता ने बताया कि मलबा निकालने का ठेका रामकी ग्रुप के पास है। अनुमान है कि ट्विन टावर का करीब 80 हजार टन मलबा निकलेगा। इसमें से 50 हजार टन उसी के बेसमेंट में भर दिया जाएगा। मलबा हटाने का काम 90 दिन चलेगा।
ये काम रामकी ग्रुप और नोएडा अथॉरिटी मिलकर करेंगे। मलबे से लोहे और सीमेंट को अलग किया जाएगा। इस काम में 20 से 25 दिन लगेंगे। लोहा निकालने के बाद बचा मलबा बेसमेंट में भर दिया जाएगा। लोहा, कंक्रीट और इस तरह के दूसरे मटेरियल रीसाइकल किए जाएंगे।
मलबा हटाने का प्लान तैयार, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से भी मंजूरी
रामकी ग्रुप का प्लांट नोएडा के सेक्टर-80 में है। उनके पास मलबे को ट्रीट करने का वैज्ञानिक तरीका है। नोएडा अथॉरिटी ने इसके लिए सारे अप्रूवल दे दिए हैं। यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने भी प्लान को मंजूरी दे दी है।
24 अगस्त को डिमोलिशन का कॉन्ट्रैक्ट पाने वाली कंपनी एडिफाइस इंजीनियरिंग ने नोएडा अथॉरिटी के सामने मलबा हटाने की योजना का खाका पेश किया था। इसके मुताबिक, 36 हजार क्यूबिक मीटर मलबे में से करीब 23 हजार क्यूबिक मीटर मलबा ट्विन टावर के बेसमेंट वाली जगह में समा जाएगा। बाकी बचा 13 हजार क्यूबिक टन मलबा बिल्डिंग के आसपास के इलाके में बचेगा। इसे ट्रकों के जरिए हटाया जाएगा।
सब कुछ प्लान के मुताबिक, दो टारगेट 100% हासिल किए
बिल्डिंग डिमोलिशन की प्लानिंग में दो सबसे बड़ी चिंताएं थीं। पहली कि एमराल्ड कोर्ट सोसाइटी के सबसे नजदीकी टावर एस्टर-2 को कोई नुकसान न हो। दूसरी कि गेल की गैस पाइपलाइन को बचाना था। ये बिल्डिंग साइट से 16 मीटर ही दूर थी। हमने दोनों टारगेट 100% हासिल किए।
एमराल्ड कोर्ट सोसाइटी बहुत ज्यादा नजदीक थी, इसलिए हमने उस तरफ रिस्क नहीं लिया। ATS विलेज सोसाइटी की तरफ ज्यादा बैलेंस रखा, क्योंकि वहां ज्यादा जगह थी।
ATS सोसाइटी से मलबा टकराएगा, इसका अंदाजा था
पहले से अंदाजा था कि ATS की दीवार से मलबा टकरा सकता है और वही हुआ। इसकी बाउंड्री वॉल को नुकसान हुआ है। हमें इस बारे में 50-50 का अनुमान था। हमने दीवार की मरम्मत शुरू कर दी है।
इसके अलावा, हमें अंदेशा था कि कुछ घरों में शीशे टूट सकते हैं। इसलिए हमने पहले से वेंडर तय कर लिया था। कुछ घरों से कांच टूटने की शिकायत आई है। हमने इनकी भी रिपेयरिंग शुरू कर दी है।
पूरी दुनिया में इस प्रोजेक्ट का एनालिसिस होगा
उत्कर्ष मेहता ने कहा कि ट्विन टावर का डिमोलिशन परफेक्ट इंजीनियरिंग का नमूना है। पूरी दुनिया में इसका एनालिसिस किया जाएगा। दुनियाभर में पहले भी 100 मीटर से ज्यादा ऊंचाई वाले स्ट्रक्चर गिरे हैं, लेकिन उनके आसपास काफी जगह थी। गैस पाइपलाइन और आसपास बसाहट जैसी दिक्कतों के बावजूद ट्विन टावर प्लान के मुताबिक गिराए गए हैं।