”सभी भारतीयों का डीएनए एक है” – मोहन भागवत

 ”सभी भारतीयों का डीएनए एक है” – मोहन भागवत

मोहन भागवत

अगर कोई हिंदू कहता है कि यहां कोई मुसलमान नहीं रहना चाहिए, तो वह व्यक्ति हिंदू नहीं

मोहन भागवत (आरएसएस प्रमुख)
भागवत और डा. ख्वाजा इफ्तिखार अहमद की पुस्तक ''वैचारिक समन्वय-एक पहल'' का विमोचन करते हुए
भागवत और डा. ख्वाजा इफ्तिखार अहमद की पुस्तक ”वैचारिक समन्वय-एक पहल” का विमोचन करते हुए

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को इसी संस्था की अल्पसंख्यक शाखा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच द्वारा गाजियाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “अगर कोई हिंदू कहता है कि यहां कोई मुसलमान नहीं रहना चाहिए, तो वह व्यक्ति हिंदू नहीं है। गाय एक पवित्र जानवर है लेकिन जो लोग दूसरों को मार रहे हैं वे हिंदुत्व के खिलाफ जा रहे हैं। कानून को बिना किसी पक्षपात के उनके खिलाफ अपना काम करना चाहिए। सभी भारतीयों का डीएनए एक जैसा होता है और हत्या में शामिल लोग हिंदुत्व के खिलाफ हैं।”

डा. ख्वाजा इफ्तिखार अहमद की पुस्तक ''वैचारिक समन्वय-एक पहल'' का विमोचन करने आए मोहन भागवत ने कहा कि लोग यह न समझें कि इस पुस्तक का विमोचन वोट बैंक पॉलिटिक्स के लिए किया गया है। उन्होंने कहा कि संघ राजनीति में नहीं है और न ही वह छवि बनाए रखने की परवाह करता है। भागवत ने कहा, "यह राष्ट्र को मजबूत करने और समाज में सभी के कल्याण के लिए अपना काम करता रहता है।"राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सिर्फ राष्ट्रवाद के लिए काम करता है। राजनीति स्वयंसेवकों का काम नहीं है। राजनीति की वजह से ही हिंदू-मुस्लिम एक नहीं हो सके हैं। संघ चुनाव में अपनी पूरी ताकत लगाता है लेकिन जो भी करता है राष्ट्र हित में करता है।

कौन है डॉ ख्वाजा इफ्तिखार अहमद?

 डा. ख्वाजा इफ्तिखार अहमद अपनी किताब ''वैचारिक समन्वय-एक पहल'' के साथ
डा. ख्वाजा इफ्तिखार अहमद अपनी किताब ”वैचारिक समन्वय-एक पहल” के साथ
डॉ ख्वाजा इफ्तिखार अहमद  देश के पूर्व प्रधानमंती पी वी नरसिम्हा राव के सलाहकार रह चुके हैं।  
लेखक डॉ.अहमद ने बताया कि इस किताब को तीन भाषा में लिखा गया है। सबसे पहले अंग्रेजी और फिर हिंदी व उर्दू में अनुवाद किया गया है। 11 माह में 500 पेज की किताब लिखी गई है। इस पुस्तक में डॉ ख्वाजा इफ्तेखार जी, ने हिंदुस्तानी मुसलमानों से आग्रह किया है, कि राष्ट्रीयता और हिंदुत्व को सही नजरिए में देखें। किताब को लिखने की जरूरत इसलिए पड़ी कि जो हमारे समाज में एक दूसरे से विश्वास न होना और रिश्तों में कहीं-कहीं पर से एक कड़वाहट नजर आती है। यह राष्ट्रहित में नहीं है।

हिन्दू-मुस्लिम राजनीति पर क्या बोले भागवत?

पुस्तक को बिना देखे ही मैंने इसके विमोचन के लिए हां कर दिया था, क्योंकि इसमें प्रमाणिकता का आह्वान किया गया है।

मोहन भागवत

उन्होंने यह भी कहा कि- ‘हिंदू-मुस्लिम एक हैं, और इसका आधार है हमारी मातृभूमि। पूजन विधि के आधार पर हमें अलग नहीं किया जा सकता। सभी भारतीयों का डीएनए एक है। अब समय आ चुका है कि भाषा, प्रांत और अन्य विषमताओं को छोड़कर हम एक हों और भारत को विश्वगुरू बनाएं। भारत विश्वगुरू बनेगा तभी दुनिया सुरक्षित रहेगी।’

भागवत ने यह भी कहा कि राजनीति लोगों को एकजुट नहीं कर सकती, यह केवल बांट सकती है। उन्होंने मुसलमानों से आग्रह किया कि वे “इस डर के चक्र में न फंसें कि भारत में इस्लाम खतरे में है”।

उन्होंने कहा कि भारत का संविधान इस बात का सबूत है कि भारत में अल्पसंख्यकों को कोई खतरा नहीं है। “भले ही बहुसंख्यक समुदाय का एक वर्ग अल्पसंख्यक के खिलाफ आक्रामकता दिखाता है, इसका विरोध बहुसंख्यक समुदाय के भीतर से होता है। अगर मैं आक्रामक और गुस्से वाला भाषण देता हूं, तो हिंदू मेरा समर्थन नहीं करेगा।

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